Monday, December 26, 2011

सनम की मुहब्बत ही कुछ ऐसी है की उनको तो बस अंजाम से डर लगता है ...

      

 सवाल यह है  की अन्ना को अपने इस आन्दोलन से क्या हासिल होगा ? उपाधि  या केवल उलहना ?  कुछ लोग उन्हें बूढ़ा जिद्दी सनकी भी कह सकते हैं पर  बात हमारे बुद्धिजीवियों की.... तो उनके खातिर बस इतना ही की ..."पाप का भागी नहीं है केवल व्याघ , जो तटस्थ हैं , समय लिखेगा उनका भी इतिहास" ...इस देश के बुद्धिजीवियों ने तो गांधी , आंबेडकर ,जे .पी , लोहिया तक को नहीं बख्सा   .. .अन्ना तुम क्या हो ! वे ये जानते हैं , तुम क्या कर रहे हो वे भी ये जानते हैं ...बस ख़तरा इसी बात का है की ...वे ये जानते हैं  और ऐसी हरकत  वे  बाखबर - होशोहवाश  कर रहें हैं 
धर्मं , जाति, संघ , भगोड़ा ,एजेंट , भीड़ ,बीमारी , जीत -हार आदि ,अनादी से जनता को फर्क नहीं पड़ता है...चाहे इसका अंजाम कुछ भी हो   हाँ उसे फक्र इस बात का है की वे एक लड़ाई लड़ रहे हैं जिसका अंजाम उसे नहीं मालूम  , हाँ उसे यह मालूम है की इस चिंगारी की लपटें इतिहास को गवाही देंगीं की इस देश की जनता ने समय की करवट को खुद बदला है ...अपने दम पर   एक चौहत्तर साल के बुजुर्ग की अगुवाई में ...जिसने अपनी परंपरा से लड़ने की हौसला पाया 
अन्ना  ...तुम्हारे आलोचक तुमसे इतनी मुहब्बत करते हैं की उनके पास धर्मं , जाति, संघ , भगोड़ा ,एजेंट आदि ,अनादि  कुछ घिसे पिटे प्रतिमान पड़े हैं जिसका प्रयोग वे हमेशा हर जनांदोलनों को बरगलाने के लिए , उन्हें धोखा देने के लिए करते आये हैं   ये उनकी लाइलाज आदत है  वे कुछ नया खोज ही नहीं पा रहे हैं ...बौखलाहट में। जनता के कल के  आन्दोलन में जैसा की कुछेक तुम्हारे चाहने वालों की ख्वाहिश है  की अब तुम्हारी लड़ाई मद्धिम हो जाये  , क्योंकि अगर तुम हमारी लड़ाई को मंजिले मकसद तक पहुंचा देते हो तो ...उनकी बौद्धिक जुगाली बंद हो जायेगी ...फिर वे अपनी दुकान खोलकर बैठ जायेंगें जैसा की वे हमेशा से करते आये हैं ...क्योंकि तुम्हारे आन्दोलन ने  बीचगोतिये घुसपैठियों  (अग्निवेशी चरित्र वाले समाजसेवियों एवं बुद्धिजीवियों  ) जोकि होते तो जनता के साथ हैं लेकिन कपिल मुनी महराज की अंडर कवर एजेंटी  करते हैं की सटीक पहचान करवा दी   
जनता को यह मालूम है कौन गलत है कौन सही , कौन  उसके साथ है कौन खिलाफ ...कौन संघी है , एजेंट है , भगोड़ा है , जातिवादी है  यह वही तय करेगी  लड़ाई से और लड़ाई के अंजाम से  डरने वाले अवसरवादी बौद्धिक जुगालिक नहीं ...उनकी तो फितरत ही कुछ ऐसी होती है की उन्हें जनता के हक़ मांगने से डर लगता है फिर वे उसे बरगलाने ,नकारने ,धोखा देने के लिए मुहावरे तलाशते हैं ...सिवाय उनका साथ देने के   ...जिस बात का सारे फ़साने में ज़िक्र था वो बात उनको नागवार गुज़री ...अन्ना हमें फक्र है की तुम लड़ रहे हो और लड़ने वाले तुम्हारे साथ है ।… आज के भारत को और आने वाले भारत को तुम्हारी बहुत जरुरत है अन्ना ...


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